भारतीय मनोविज्ञान पिछले कुछ दशकों से दोबारा चिंतन का विषय बन चुका हैं। प्राचीन ग्रन्थों जिनमे उपनिषद, सूत्र, चिकित्षा ,दर्शन आदि सामिल हैं , मे बहुत कुछ ऐसा छुपा है जिस पर अच्छा कार्य हो सकता है।वर्तमान की जरूरतों के अनुरूप हमे अपने जीवन मूल्यों को भी दोबारा से मुल्याकन करके देखना जरुरी होता जा रहा है..Tuesday, March 18, 2008
भारतीय मनोविज्ञान
भारतीय मनोविज्ञान पिछले कुछ दशकों से दोबारा चिंतन का विषय बन चुका हैं। प्राचीन ग्रन्थों जिनमे उपनिषद, सूत्र, चिकित्षा ,दर्शन आदि सामिल हैं , मे बहुत कुछ ऐसा छुपा है जिस पर अच्छा कार्य हो सकता है।वर्तमान की जरूरतों के अनुरूप हमे अपने जीवन मूल्यों को भी दोबारा से मुल्याकन करके देखना जरुरी होता जा रहा है..Posted by Desh Raj Sirswal at 11:38 PM